समाजशास्त्र क्या है ? ( WHAT IS SOCIOLOGY ? )
समाजशास्त्र क्या है ? |
नमस्कार दोस्तों, आज हम समाजशास्त्र के बारे में जानेगे की समाजशास्त्र
क्या होता है ? तो शुरू करने से पहले आप सभी को नमस्कार ! अब शुरू करते है कि समाजशास्त्र
क्या होता है ? अगर आप नही जानते है तो मे बताता हु की समाजशास्त्र क्या है ! तो
चले आगे बढकर जानते है ! समाजशास्त्र के बारे में !
समाजशास्त्र- सामाजिक संबंधो का व्यवस्थित व क्रमबद्ध तरीके से अध्ययन करने
वाला विज्ञान ही समाजशास्त्र है !
समाजशास्त्र पर अगर हम बात करे तो समाजशास्त्र दो शब्दों से बना हुआ होता
है जिसमे पहला लैटिन शब्द ‘SOCIUS’ जिसका अर्थ है - “समाज”
तथा दूसरा ग्रीक शब्द ‘ LOGOS’ जिसका अर्थ है – “अध्ययन
या विज्ञान” ! इस प्रकार समाजशास्त्र का शाब्दिक अर्थ है – समाज का
विज्ञान ! इस प्रकार समाजशास्त्रियों ने समाजशास्त्र को दो भाषाओं में व्यक्त किया
है ! तो फिर कुछ विदानो या फिर लेखको ने समाजशास्त्र के इस सुझाव को गलत भी बताया
है ! विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत समाज और समाज के व्यक्तिगत संबंधो का
अध्ययन किया जाता है !
समाज से ही मनुष्य अपने
समाजशास्त्र के परिवेश को समझता है ! कि किस प्रकार से समाज के दृष्टिकोण को
विकसित किया जाये, व्यक्ति अपने संसाधनों की पूर्ति भी तथा मुलभुत आवश्यकता की
पूर्ति समाजशास्त्र से लीन होकर ही कर सकता है ! चाहे वो समाज से हो, या समुदाय से हो !
मनुष्य समाज से ही खान-पान, रहन-सहन सीखता
है और अपने व्यवहारों के आधार के अनुरूप ही स्वय को समाजशास्त्र में ढलता हुआ नजर
आता है ! प्राचीन काल की बात करे तो हम देखेगे कि उस समय समाज को एक समूह का दर्जा
दिया जाता था ! और समूह से ही समाज का निर्माण हुआ है ! जैसे भारतीय समाज, ब्रहामन
समाज , धनी समाज , शिक्षित समाज आदि ! समाजशास्त्र को
सामाजिक विज्ञान से भी हम जोड़ सकते है ! जो सामाजिक विज्ञान की एक शाखा है जो
प्रत्येक मानवीय प्रणाली सामाजिक सरंचना और गतिविधियों से सम्बन्ध बनाकर जानकारी
को परिष्कृत करने और उनका विकास करने के लिए कल्पनायुक्त अनुभव विचारने और
विवेचनात्मक विश्लेषण की विभिन्न पद्धतियों का उपयोग करने का काम करता है ! बल्कि जिसका
ध्येय सामाजिक कल्याण के अनुसरण में ऐसे ज्ञान को लागु करना पड़ता हैं !
समाजशास्त्र की विषय वस्तु के विस्तार आमने – सामने होने वाले सम्पर्क के सूक्ष्म
स्तर से लेकर व्यापक तौर पर समाज के वृहद सतह तक है !
इतिहास
समाजशास्त्रीय तर्क इस शब्द की
उत्पत्ति की तिथि उचित समय से पूर्व की बताते हैं। आर्थिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक
प्रणालीयों सहित समाजशास्त्र की उत्पत्ति, पश्चिमी ज्ञान और दर्शन के संयुक्त भण्डार में
आद्य-समाजशास्त्रीय है। प्लेटो के समय से ही सामाजिक विश्लेषण किया जाना शुरू हो गया। यह कहा
जा सकता है कि पहला समाजशास्त्री 14वीं सदी का उत्तर अफ्रीकी अरब
विद्वान, इब्न खल्दून था, जिसकी मुक़द्दीमा सामाजिक एकता और सामाजिक संघर्ष, के सामाजिक-वैज्ञानिक
सिद्धांतों को आगे लाने वाली पहली कृति थी !
शब्द
"SOCIOLGY " पहली बार 1780 में फ़्रांसीसी निबंधकार इमेनुअल जोसफ सीयस (1748-1836) द्वारा एक अप्रकाशित पांडुलिपि
में गढ़ा गया। यह बाद में ऑगस्ट कॉम्ट (1798-1857)
द्वारा 1838 में स्थापित किया गया।
इससे
पहले कॉम्ट ने "सामाजिक भौतिकी" शब्द का इस्तेमाल किया था, लेकिन बाद में वह दूसरों द्वारा
अपनाया गया, विशेष
रूप से बेल्जियम के सांख्यिकीविद् एडॉल्फ क्योटेलेट
कॉम्ट ने
सामाजिक क्षेत्रों की वैज्ञानिक समझ के माध्यम से इतिहास, मनोविज्ञान और अर्थशास्त्र को
एकजुट करने का प्रयास किया। फ्रांसीसी क्रांति की व्याकुलता
के शीघ्र बाद ही लिखते हुए, उन्होंने
प्रस्थापित किया कि सामाजिक निश्चयात्मकता के माध्यम से सामाजिक बुराइयों
को दूर किया जा सकता है, यह द कोर्स इन पोसिटिव फिलोसफी (1830-1842)
और ए जनरल व्यू ऑफ़ पॉसिटिविस्म (1844)
में
उल्लिखित एक दर्शनशास्त्रीय दृष्टिकोण है। कॉम्ट को विश्वास था कि एक 'प्रत्यक्षवादी स्तर' मानवीय समझ के क्रम में, धार्मिक अटकलों और आध्यात्मिक चरणों के बाद अंतिम दौर को
चिह्नित करेगा। यद्यपि कॉम्ट को अक्सर "समाजशास्त्र का पिता" माना जाता
है, तथापि यह विषय औपचारिक रूप से एक अन्य संरचनात्मक व्यावहारिक
विचारक एमिल दुर्खीम (1858-1917)
द्वारा
स्थापित किया गया था, जिसने
प्रथम यूरोपीय अकादमिक विभाग की स्थापना की और आगे चलकर प्रत्यक्षवाद का विकास
किया। तब से, सामाजिक
ज्ञानवाद, कार्य
पद्धतियां और पूछताछ का दायरा, महत्त्वपूर्ण रूप से विस्तृत और अपसारित हुआ है।
समाजशास्त्रपर कुछ विद्वानों दवारा दी गई परिभाषा –
- हरबर्ट के अनुसार – “समाजशास्त्र सामाजिक प्रघटना का विज्ञान है” !
- रोबोट पार्क के अनुसार – “समाजशास्त्र सामूहिक व्यवहार का विज्ञान है” !
- जॉनसन के अनुसार – “समाजशास्त्र सामाजिक समूहों का विज्ञान है” ! आदि !
समाजशास्त्र की उत्पति –
- समाजशास्त्र का जन्म 19 वीं शताब्दी में हुआ है !
- 19 वीं शताब्दी के प्रारम्भ में फ़्रांस के विचारक ऑगुस्ट कॉम्ट ने समाजशास्त्र का नाम सामाजिक भौतिकी रखा और 1838 में बदलकर समाजशास्त्र रखा ! इस कारण से ऑगुस्ट कॉम्ट को समाजशास्त्र का जनक कहा जाता है !
- समाजशास्त्र को एक विषय के रूप में विकसित करने में दुर्खिम, स्पेंसर तथा मैक्स वेबर आदि विदानो का काफी सहयोग रहा !
- भारत में समाजशास्त्र का उदभव व विकास इतिहास प्राचीन से है !
समाजशास्त्र एंव समाज -
समाजशास्त्र एंव समाज |
समाज- समाज, सामाजिक संबंधो का जाल है !
समाज की प्रमुख विशेषताए -
Ø समाज अमूर्त है !
Ø समाज में समानता व भिन्नता
Ø पारस्परिक सहयोग एंव संघर्ष
Ø आश्रित रहने का नियम
Ø समाज परिवर्तनशील है !
निष्कर्ष -
मेरे दवारा दी गई जानकारी आप समझ पाए होंगे मुझे आपसे से आशा है की आप मुझे समाज के हित में उजागर करने में मददगार होंगे ! कुछ बाते अगर में आपको समझा नही पाया हूँ तो उसके लिए मै आपसे क्षमा मांगने का हक़दार रहूँगा !
अत: आप इसी तरह मेरे साथ जुड़े रहे और समाजशास्त्र से एक नये समाज की रचना करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन अपने कार्य के प्रति जागरूक व सचेत नागरिक बनने का प्रयास करे !
!!
धन्य वाद !!
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